प्रधानमंत्री मोदी ने किया ऐतिहासिक ऐलान: 2025 तक भारत में सेमीकंडक्टर चिप तैयार!
15 अगस्त 2025 को लाल किले से अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को बड़ी खुशखबरी दी। उन्होंने कहा कि इस साल के अंत तक भारत अपनी पहली 'मेड-इन-इंडिया' सेमीकंडक्टर चिप लॉन्च करेगा। यह चिप पूरी तरह भारत में डिज़ाइन और निर्माण की जाएगी।
मुख्य बातें:
1. मिशन मोड पर काम
पीएम मोदी ने बताया कि भारत पिछले कुछ वर्षों से सेमीकंडक्टर चिप निर्माण के लिए मिशन मोड में काम कर रहा है। उन्होंने कहा:
“इसी साल के अंत तक, 'मेड इन इंडिया' सेमीकंडक्टर चिप भारतीय लोगों द्वारा बनाए गए और भारत में ही निर्मित होंगे।”
2. ऐतिहासिक महत्व
भारत में सेमीकंडक्टर फैक्ट्री की कल्पना 50-60 साल पहले भी हुई थी, लेकिन उस समय इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। अब सरकार इसे आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मील का पत्थर मान रही है।
3. तकनीकी नेतृत्व की दिशा
पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि 21वीं सदी तकनीक-आधारित सदी है। जो देश नई तकनीक विकसित करेगा, वही तेज़ी से तरक्की करेगा।
ऊर्जा, रोजगार और आर्थिक सुधार
- स्वच्छ ऊर्जा: भारत ने 2030 तक का लक्ष्य पहले ही हासिल कर लिया है और अब 50% स्वच्छ ऊर्जा पोर्टफोलियो बन चुका है।
- युवाओं के लिए रोजगार: चिप निर्माण के लिए सरकार ने 1 लाख करोड़ रुपए की योजना शुरू की है, जिससे युवाओं को नए अवसर मिलेंगे।
- सरल टैक्स सिस्टम: अक्टूबर 2025 तक नया सिंप्लिफाइड GST ढांचा लागू होगा, जिससे कारोबार करना और आसान होगा।
महत्वपूर्ण लाभ
- तकनीकी आत्मनिर्भरता: ये चिप्स भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स, स्मार्टफोन, ऑटोमोबाइल, रक्षा और AI सेक्टर में विदेशी निर्भरता से मुक्ति देंगी।
- इनोवेशन और इंडस्ट्री बूस्ट: देश में क्लीन-रूम फैक्ट्रीज़, रिसर्च वर्क और चिप डिजाइन टैलेंट की डिमांड बढ़ेगी।
- ग्लोबल सप्लाई चेन में एंट्री: भारत ग्लोबल चिप सप्लाई चेन में अपनी जगह बनाने का लक्ष्य रख रहा है।
भारत वाकई सेमीकंडक्टर चिप बना रहा है?
हाँ! भारत 2025 के अंत तक पहली 'मेड-इन-इंडिया' सेमीकंडक्टर चिप लॉन्च करने के लिए पूरी तैयारी में है।
मुख्य तथ्य:
- इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM): अब तक 10 प्रोजेक्ट्स को मंजूरी मिली, अगस्त 2025 में चार नए फैब/पैकेजिंग प्रोजेक्ट्स (ओडिशा, पंजाब, आंध्र प्रदेश) को भी हरी झंडी। कुल निवेश ₹1.60 लाख करोड़।
- तकनीकी स्तर: भारत की पहली चिप 28nm से 90nm तकनीक पर आधारित होगी। ये मोबाइल, ऑटोमोबाइल, टेलीकॉम, पावर और रेलवे के लिए होगी।
- मैन्युफैक्चरिंग स्थिति: गुजरात, असम, उत्तर प्रदेश में छह फैक्ट्रियाँ निर्माणाधीन हैं; चार नई यूनिट्स स्वीकृत हुईं।
- विदेशी साझेदारी: HCL-Foxconn, Tata Electronics, Micron Technology जैसी कंपनियाँ इनमें निवेश कर रही हैं।
उत्पादन कब शुरू होगा?
- भारत में 6 फैक्ट्रियाँ पहले से हैं, 4 नई फैक्ट्री परियोजनाओं को मंजूरी मिली।
- टाटा ग्रुप असम में असेंबली और टेस्टिंग प्लांट 2025 तक चालू होने की संभावना है।
- HCL-फॉक्सकॉन उत्तर प्रदेश में असेंबली यूनिट स्थापित कर रहा है, वाणिज्यिक उत्पादन 2027 में शुरू हो सकता है।
- ये चिप्स मुख्य रूप से मोबाइल, ऑटोमोबाइल, टेलीकॉम, रेलवे और पावर सेक्टर में उपयोग होंगी।
भारत में मुख्य चिप मैन्युफैक्चरिंग केंद्र
- धोलेरा, गुजरात: टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और पॉवरचिप ताइवान सहयोग से फैब्रिकेशन यूनिट।
- नोएडा, उत्तर प्रदेश: अत्याधुनिक सेमीकंडक्टर डिजाइन केंद्र, 3nm तकनीक पर।
- बेंगलुरु, कर्नाटक: डिजाइन और अनुसंधान केंद्र।
- पंजाब और आंध्र प्रदेश: अगस्त 2025 में नए फैब और असेंबली यूनिट को मंजूरी।
- असम और गुजरात: बड़ी परियोजनाएँ, जिससे स्थानीय उत्पादन बढ़ेगा।
सरकार ने ₹76,000 करोड़ निवेश से सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम शुरू किया है।
भारत की ग्लोबल सेमीकंडक्टर रणनीति
- इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM): 2021 में शुरू, उद्देश्य—भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स और चिप विनिर्माण केंद्र बनाना।
- सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम: निवेश बढ़ावा, नई तकनीक विकास और अंतरराष्ट्रीय सहयोग।
- वैश्विक साझेदारी: टाटा-पावरचिप, HCL-फॉक्सकॉन जैसी कंपनियाँ।
- तकनीकी विकास: 28nm-90nm चिप्स का निर्माण, डिजाइन+मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस।
- आर्थिक और रणनीतिक लाभ: डिजिटल अर्थव्यवस्था मजबूत, आयात निर्भरता कम, रोजगार सृजन।
- भविष्य का लक्ष्य: 2030 तक विश्व के बड़े सेमीकंडक्टर बाजार में $100-110 बिलियन का लक्ष्य।
भारत की सेमीकंडक्टर निर्यात संभावनाएँ
- बाजार विकास: 2023 में $38 बिलियन, 2030 तक $100-110 बिलियन।
- वैश्विक मांग: मोबाइल, ऑटोमोबाइल, AI, IoT में बढ़ती मांग।
- तकनीकी क्षमता: नोएडा और बेंगलुरु में अत्याधुनिक डिजाइन केंद्र।
- सरकारी प्रोत्साहन: भारत सेमीकंडक्टर मिशन और सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम।
- सामग्री और उपकरण: कच्चा माल उपलब्ध, MSME उपकरण उत्पादन बढ़ रहा।
- वैश्विक सहयोग: अमेरिका, जापान जैसी तकनीकी साझेदारियाँ।
निष्कर्ष: भारत आने वाले वर्षों में सेमीकंडक्टर उत्पादन और निर्यात में प्रमुख भूमिका निभा सकता है। इससे रोजगार बढ़ेगा और तकनीकी आत्मनिर्भरता मजबूत होगी।